मैं विकास दुबे!! बरखा मुणोत, नागपूर
यम राज,- अरे, विकास तुम यहाँ? अचानक तुम्हारा समय अभी नही हुआ था। फिर कैसे आ गए?
विकास दुबे जोर जोर से हँसने लगता है और बोलता है, महाराज अब आ ही गया हूं तो थोड़ा आराम तो करने दो। बहुत थक गया हूं भाग भाग कर।
मैं यहां आना नहीं चाहता था पर आना पड़ा। आपने तो मुझे पहचान लिया पर वहाँ मुझे सब को बताना पड़ा कि , मैं हु विकास दुबे कानपुरवाला। बहुत हँसी आ रही है , महाराज। दुनिया वालो को तो कुछ नही कहा पर यहाँ अब किस का डर है, मुझे बोलने दो।
उस लोक में पहले ही कोरोना का आंतक है।लोंगो को अपनी जिंदगियां प्यारी है वो कहा मेरा कुछ बिगाड़ सकते है। 1992 से अब तक कोई मेरा बाल भी नहीं हिला सका फिर वो क्या करेंगे। अब आप ही सोच लो , जो लोग मुझसे कापते थे , मेरे डर से मेरा साथ देते थे, वो लोग मुझे कैसे मार सकते हैं।दुनिया की नजर में मैं बहुत बडा गुंडा हू। गुंडा नही गैंगस्टर यही बोलते है वहां मुझे। लेकिन मेरा पुरा साथ भी दिया करते थे।तभी तो इतना होने के बाद भी मैं आराम से महाकाल में सेल्फी ले रहा था। आप मेरे गाँव जा कर देख लो मेरी पत्नी और माँ समाज के विकास के लिए चुनाव लड़ रही है। सब सुखद माहौल है। मैं वहाँ राजा था, नेता कोई भी
पार्टी का हो, पर राज मेरा होता था। अब और क्या बोलू, पुलिस भी सलाम करती थी मुझे। वरना क्या मैं इतने दिनों तक आनंद लेता। आप ही बताओ। अब तक कितनो को मौत की नींद सुला चुका हूं, हिसाब नही है और तो और कितने केसेस है वो भी पता नही। ये कम है तो और सुनो, मुझे मरना नही था , पर अगर मैं जिंदा रहता तो बहुत लोगों को मरना पड़ता। उनके राज जो मेरे पास थे। मैं उनका राजदार था तभी तो हम वहां के भगवान थे। (जोर जोर से हँसता है।)
यमराज थोड़े परेशान होकर बोले, - तुम कही के भी भगवान क्यों न हो पर यहां किसी की नही चलती ।
विकास यमराज से,- जानता हूं, इसलिए तो सब बता रहा हु ना। वहां तो मेरा बोलबाला था, किसी की न चली, लेकिन मैं भूल ही गया था कि मुझे आप को हिसाब देना होगा।हिसाब क्या दूँगा, मेरा लेखाजोखा तो है ही आप के पास । मेरे आने से कितनों की ज़िंदगी भी सवर गई है।मैं मेरे साथ बहुत से राज भी ले आया हूं।अगर वो वहा सब को पता चल जाते तो तारीख़ पर तारीख़ चलती रहती और केस कुछ दिन चलता और फिर ठंडे बस्ते में चलता जाता। कई नेताओं को अपना पद छोड़ना पड़ता और उनकी दुकान बंद हो जाती।पुलिस पर से जनता का विश्वास उठ जाता और न्याय के लिए लोग नही जाते और न जाने क्या क्या होता। अफसोस तो कम है पर खुशी ज्यादा है। जितनो को मारा नही उससे कही ज्यादा का भला कर के आया हु। मेरे मरने से सवाल सिर्फ सवाल बन कर रह गए। जी हां मैं ही विकास दुबे हु,कानपुर वाला!!!